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________________ २७४ पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम् अन्वय:-अर्थे चतुर्थी पूर्वपदं प्रकृत्या। अर्थ:-अर्थशब्दे उत्तरपदे चतुर्थ्यन्तं पूर्वपदं प्रकृतिस्वरं भवति । उदा०-मात्रे इदमिति मात्रर्थम् । पित्रर्थम् । देवार्थम् । अतिथ्यर्थम् । आर्यभाषा8 अर्थ-(अर्थ) अर्थ शब्द उत्तरपद होने पर (चतुर्थी) चतुर्थी-अन्त (पूर्वपदम्) पूर्वपद (प्रकृत्या) प्रकृतिस्वर से रहता है। उदा०-मात्रर्थम् । माता के लिये। पित्रर्थम् । पिता के लिये। देवतार्थम् । देवता के लिये। अतिथ्यर्थम् । अतिथि के लिये। सिद्धि-(१) मात्रर्थम् । यहां मातृ और अर्थ शब्दों का चतुर्थी तदर्थार्थबलिहितसुखरक्षितैः' (२।१।३५) से चतुर्थी तत्पुरुष समास है। मातृ' शब्द नप्तनेष्टुत्वष्ट्रहोतृपोतृभातृजामातृमातृपितृदुहितुं' (उणा० २।९७) से अन्तोदात्त निपातित है। यह इस सूत्र से अर्थ शब्द उत्तरपद होने पर प्रकृतिस्वर से रहता है। ऐसे ही-पित्रर्थम् । (२) देवतार्थम् । यहां देवता और अर्थ शब्दों का पूर्ववत् चतुर्थी-तत्पुरुष समास है। देवता' शब्द में देवात्तल (५।४।२७) से तल् प्रत्यय है। प्रत्यय के लित् होने से यह लिति (६।१।१२७) से मध्योदात्त है। यह इस सूत्र से अर्थ शब्द उत्तरपद होने पर प्रकृतिस्वर से रहता है। (३) अतिथ्यर्थम् । यहां अतिथि और अर्थ शब्दों का पूर्ववत् चतुर्थी-तत्पुरुष समास है। अतिथि शब्द में 'ऋतन्यजि०' (उणा० ४।२) से इथिन् प्रत्यय है। प्रत्यय के नित् होने से नित्यादिर्नित्यम्' (६।१।१९१) से आधुदात्त है। यह इस सूत्र से अर्थ शब्द उत्तरपद होने पर प्रकृतिस्वर से रहता है। प्रकृतिस्वरः (४५) क्ते च।४५। प०वि०-क्ते ७१ च अव्ययपदम्। अनु०-प्रकृत्या, पूर्वपदम्, चतुर्थी इति चानुवर्तते। . अन्वय:-क्ते च चतुर्थी पूर्वपदं प्रकृत्या। अर्थ:-क्तान्ते शब्दे चोत्तरपदे चतुर्थ्यन्तं पूर्वपदं प्रकृतिस्वरं भवति। उदा०-गवे हितमिति गोहितम्। अश्वहितम्। मनुष्यहितम्। गवे रक्षितमिति गोरक्षितम् । अश्वरक्षितम् । वनं तापसरक्षितम् । आर्यभाषा अर्थ-(क्ते) क्त-प्रत्ययान्त शब्द उत्तरपद होने पर (च) भी (चतुर्थी) चतुर्थी-अन्त (पूर्वपदम्) पूर्वपद (प्रकृत्या) प्रकृतिस्वर से रहता है।
SR No.003300
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1999
Total Pages754
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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