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५.
पाणिनीय- अष्टाध्यायी में जिन जनपदों के नाम आये हैं उनका संक्षिप्त विवरण अधोलिखित है :
(१) कम्बोज :- पाणिनि मुनि के समय यह एकराज जनपद था। यहां का राजा और क्षत्रियप- कुमार दोनों ही कम्बोज कहाते थे । गन्धार, कपिश, बाल्हीक और कम्बोज इन चार महाजनपदों का एक चौगड्डा था । हिन्दुकुश पर्वत के उत्तर-पूर्व में कम्बोज, उत्तर-पश्चिम में बाल्हीक, दक्षिण-पूर्व में गन्धार और दक्षिण-पश्चिम में कपिश जनपद था। वर्तमान पामीर और बदख्शां का सम्मिलित प्राचीन नाम कम्बोज था ।
(२) प्रस्कण्व :- अष्टाध्यायी ( ६ । १ । १५३) में प्रस्कण्व एक ऋषि का नाम है। इसी सूत्र का प्रत्युदाहरण प्रकण्व है जो कि एक देश का नाम था ( काशिका - प्रकण्वो देश : ) । ऐसा ज्ञात होता है कि फरगना का ही प्राचीन नाम प्रकण्व था । प्रकण्व देश य एशिया के भूगोल का एक अंग था।
मध्य-1
(३) गन्धार :- पाणिनि मुनि ने अष्टाध्यायी ( ४ । १ । ६९) में इस जनपद का पुराना नाम 'गन्धारि' दिया है। वहां के राजा और उनके पुत्र दोनों ही गान्धार कहाते थे । गन्धार महाजनपद काश्कर (कुनड़) नदी से तक्षशिला तक फैला हुआ था । पश्चिम गन्धार की राजधानी पुष्कलावती थी जहां कि स्वात और कुभा (काबुल) नदी के संगम पर वर्तमान चार सदा विद्यमान है।
( ४ ) सिन्धु :- सिन्धु नद के पूर्व में सिन्ध सागर दुआब का पुराना नाम सिन्धु था। सिन्धु जनपद में उत्पन्न मनुष्य सिन्धुक कहाते थे (४।३।३२) ।
(५) सौवीर : - वर्तमानकाल में सिन्धु प्रान्त या सिन्ध नद के निचले काठे का नाम सौवीर जनपद था ( ४ । १ । १४८ ) । इसकी राजधानी रोरुव (संस्कृत नाम - रौरुक) थी। इसका वर्तमान नाम रोड़ी है। यहां पुराने नगर के भग्नावशेष विद्यमान हैं। रोड़ी के उस पार सिन्धु के दाहिने तट का प्रसिद्ध स्थान सक्खर है, जिसका पुराना नाम शार्कर था। सक्खर शब्द शार्कर का ही अपभ्रंश है । अष्टाध्यायी में 'शर्कराया वा' (४।३।८३) इसका उल्लेख मिलता है । शर्करा शब्द का अर्थ रोड़ी ( कांकर ) है ।
(६) ब्राह्मणक :- पाणिनीय - अष्टाध्यायी (५।२।७१ ) में यह एक देश का नाम है। पतंजलि मुनि के अनुसार यह एक जनपद था ब्राह्मणको नाम जनपद : ( महाभाष्य ४।२।१०४)। इसकी पहचान वर्तमान ब्राह्मणावाद (सिन्ध प्रान्त के मीरपुर खास से लगभग २५ मील उत्तर में ) से की जा सकती है। यहां प्राचीन काल के विस्तृत ध्वंसावशेष हैं ।
( ७ ) पारस्कर :- पतंजलि मुनि ने पारस्कर को एक देश का नाम कहा है 'पारस्करो देश:' (महा० ६ । १ । १५७ ) | यह सिन्ध का पूर्वी जिला थर-पारकर जान पड़ता
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