________________
१६
अनुभूमिका कार्षापण-मुद्रा-चित्रम्
१-३ कार्षापण-मुद्रा (सिक्के)।
___कार्षापण नामक सिक्का पाणिनिकाल का एक प्रधान सिक्का है। गुरुवर स्वामी ओमानन्द सरस्वती ने हरयाणा प्रान्त के पुराने ऊजड़-खेड़ों नौरङ्गाबाद (बामला) (भिवानी} आदि स्थानों की खुदाई से ये कार्षापण के सांचे तथा कार्षापण सिक्के बहुत संख्या में अत्यन्त पुरुषार्थ से प्राप्त किये हैं जो कि स्वामी ओमानन्द पुरातत्त्व-संग्रहालय गुरुकुल झज्जर (हरयाणा) में सुरक्षित हैं। श्रद्धेय स्वामी जी ने हरयाणा के लक्षण-स्थान (टकसाल) नामक एक पुस्तक भी लिखा है। ये कार्षापण सम्बन्धी चित्र छात्रों के ज्ञानार्थ उसी पुस्तक से संकलित किये गये हैं जो छात्र इस विषय में अधिक जानना चाहते हैं वे गुरुवर के उक्त पुस्तक को पढ़कर जान सकते हैं।
-सुदर्शनदेव आचार्य
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org