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________________ तृतीयाध्यायस्य चतुर्थः पादः ५३१ आर्यभाषा-अर्थ-(धातो:) धातु से परे (लिट:) लिट् सम्बन्धी (लस्य) लकार के (परस्मैपदानाम्) परस्मैपद संज्ञक तिप्-आदि आदेशों के स्थान में यथासंख्य (णल०मा:) णल्. अतुस्, उस्, थल्, अथुस्, अ, णल्, व, म आदेश होते हैं। उदा०-उदाहरण और उनका भाषार्थ संस्कृत भाग में देख लेवें। सिद्धि-(१) पपाच । पच्+लिट् । पच्+तिम् । पच्+णल् । पच्+पच्+अ । प+पाच्+अ। पपाच। यहां पूर्वोक्त पच्' धातु से परोक्षे लिट्' (३।२।११५) से लिट्' प्रत्यय, 'तिपतझि०' (३।४।७८) से 'ल' के स्थान में तिप्' आदेश और इस सूत्र से तिप्' के स्थान में 'णल्' आदेश होता है। पूर्ववत् ‘पच्' धातु को द्वित्व, अभ्यासकार्य और 'अत उपधाया:' (७।२।११६) से पच्' धातु को उपधावृद्धि होती है। (२) पेचतुः। यहां तस्' प्रत्यय के स्थान में इस सूत्र से अतुस्' आदेश है। 'अत एकहलमध्ये०' (६।४।१२०) से अभ्यास का लोप और 'पच्’ के 'अ' के स्थान में 'ए' आदेश होता है। 'अतुस्' के 'स्' को पूर्ववत् रुत्व और विसर्जनीय आदेश होता है। (३) पेचुः । यहां 'झि' प्रत्यय के स्थान में इस सूत्र से उस्’ आदेश है। (४) पेचिथ। यहां 'सिप' प्रत्यय के स्थान में इस सूत्र से 'थल्' आदेश है। 'ऋतो भारद्वाजस्य' (७।२।६३) के नियम से 'थल' को 'इट' आगम होता है। (५) पेचथुः । यहां 'थस्' प्रत्यय के स्थान में 'अथुस्' आदेश है। (६) पेच । यहां 'थ' प्रत्यय के स्थान में 'अ' आदेश है। अतो गुणे' (६।१।९७) से 'अ' को पररूप एकादेश होता है। (७) पपाच । पूर्ववत् । पपच । यहां णलुत्तमो वा' (७।१।९१) से णल' प्रत्यय के विकल्प से णिद्वद् होने से 'अत उपधाया:' (७।२।११६) से प्राप्त उपधावृद्धि नहीं होती है। (८) पेचिव । यहां वस्' प्रत्यय के स्थान में 'व' आदेश है। कृ' आदि नियम से 'इट्' आगम होता है। (९) पेचिम । यहां मस्' प्रत्यय के स्थान में 'म' आदेश है। पूर्ववत् 'इट्' आगम होता है। लट्-आदेशप्रकरणम् वा णलादय आदेशाः (१) विदो लटो वा।८३। प०वि०-विद: ५ १ लट: ६१ वा अव्ययपदम् । अनु०-लस्य परस्मैपदानाम्, णल०माः इति चानुवर्तते। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003297
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1997
Total Pages590
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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