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4 ]
पृष्ठ पंक्ति प्रशुद्ध
144 7
147
4
8
8
11
149
150
152
153
154
155
20 विहारों का
भिक्षुप्रों को
20
156
256 2 2 2 2 0
151 2,6
2 सुंगवंश का
वर्षको से
मगध को
जिम विजयजी
को
को
26
32,33
5
ती
9 प्रदेश
को
12 2 म
को
या
1 म
7 को
11
सुदू
14 को
17 इसे
3
13
25
को खोने
जय हिन्द
प्रकार
वड
प्रश
16
23
26 खड़े
29 ममती
24
ही दिगम्बर
5 को
29 को
14 ही
16
परिणाम
157 3 उदारता
6 पूर्वग्रहों
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शुद्ध
वर्षा को ने
मगध का
जिन विजयजी
की
के
विहारों को भिक्षुओं का
सुगवंश की
तो
का
के
प्रवेश
प्रथम
था,
प्रथम
के
सुदूर
का
इसके
के होने
चिन्ह
प्रकार की
चक्र
ग्रन्धा
द्वितीय
दिगम्बर ही
खड़े
भमती
का
की
यही
परिमाण
उदारता से
पूर्वाग्रही
पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध
158
2 ?
159 3,9
20,36
160 4
8
9
161
16
20
162 5
19
163 28
164
165
6
14
15
20, 23
8
18
166
6
167
10
स्थापनयावसाह |
12
महान को
2 पदालिप्त
6
गर्दी मल्ल
गर्दीमल्ल
गर्दीमल्स
गर्दीमल्ल
25
मरूच
जैन साधू... द्वारा
होना
सम्यात्व सप्तति
परोक्ष
सेवारा
को
श्रजमानादि.
पादल्पित
कबीलों
सह
प्रतिष्ठार्थक लिए
झण्डो
सत्रपों
1 म...
..माह सत्रप
1म काल को
समूह
कि भी
कि जो
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शुद्ध
गर्दभिल्ल
गर्दभिल्ल
गर्दभिन्न
गर्द भिल्ल
भरूच
वादी धार्य सपुट
नामक जैन साधु द्वारा स्थापना या बसाहट
महान के पादलिप्त होनी
सम्यक्त्व सप्तति
परीक्षा
द्वारा
के
प्रथमानादि
पादलिप्त
कबील
सब
प्रतिष्ठार्थ
इण्डो
क्षत्रपों
प्रथम और स्ट्रेटो द्वितीय की नकल कर
क्षत्रप और महाक्षत्रप
प्रथम काल के
समूह भी
कि
जो
2 विभिन्नडता
विभिन्नता
4 को जैन पाद पीठ को के जैन पाद पीठ का 30 करना
करना सम्भव
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