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प्रभातमा भाववानी भावना। १८१ शांब प्रद्युम्न साडा आठ क्रोडि साथे सिद्धि वर्या तेने मारी
कोह०॥११॥
देवकीना षट् पुत्रो साथे सिद्धि वर्या तेने मारी क्रोड०॥१२॥
वली ए गिरिराजने विषे अनंता सिद्धि पदने वर्या तेने मारी कोड०॥१३॥
गिरनारजीने विषे श्री नेमिनाथ भगवान बालब्रह्मचारीपणे आ संसार, दुख रुप, दुखे भरेलो, दुखनी खाण, हलाहल विष जेवो जाणीने, राजीमती ने छोडी सहेसावन जइ दीक्षा लेइ केवलज्ञान पामी मोक्षपदने पाम्या तेने मारी क्रोड०॥१४॥
वली गिरनारजीने विषे मूलनायक श्री नेमिनाथजी आदि जिनेश्वर भगवाननी अनेक प्रतिमाओ छे तेने मारी क्रोड०॥१५॥ ___ आबुजी उपर आदीश्वर भगवानना तथा नेमिनाथजीना देरां घणा ज सुंदर छे तेमां कोरणी कारीगरोए घणी ज उत्तम करेली छे तथा देराणी जेठाणोना करावेला गोखला छे जेमा घणी ज नाना कदनी प्रतिमाओ छे तेने मारी क्रोड ०॥१६॥ ___ तथा अचलगढ उपर चौदसो ने चुमालीस मणनी सोनानी चौद प्रतिमा छे तेने मारी क्रोड०॥१७॥
समेतशिखरजीने विषे वीस तीर्थकर मोक्षपदने पाम्या ते वीसे जिनेश्वरभगवानना पगलां छे तेने तथा तेमां रहेली जिनेश्वर भगवाननी प्रतिमाजीने मारी क्रोड०॥१८॥ ___ अष्टपदजी उपर आदीश्वर भगवान दशहजार मुनियो साथे सिद्धि वयां तेने मारी क्रोड०॥१९॥
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