SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 159
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२६ नवस्मरणादिसङ्घडे नर फुवकोडिआऊ, पंचसयधणुच्च सनयववहारा । पुव्वं च वासकोडी, सत्तरिलक्खा छपनसहसा ||२७|| अजवमज्झमुस्सेहमंगुलं ते उ हत्थि चडवीसं । चउकर धणु धणुदुसहस, कोसो कोसचर जोयणयं ॥ २८ ॥ दुदुतिगकुलगरनीई हम धिक्कारा तओ विभासाई । चउहा सामाईया, बहुहा लेहाइववहारो ॥ २९ ॥ गुणनवइपक्खसेसे, इह वीरो निव्वुओ चउत्थारे । उस्सप्पिणितइयारे, गए उ एवं पउमजम्मो ||३०|| कालदुगे तिचउत्थारगे एगूणनवइपक्खे | सेस - गएसुं सिज्यंति हुंति पढमंतिमजिनिँदा ॥ ३१ ॥ वीरपउमंतरं पुण, चुलसीसहस सगवास पणमासा । पंचम अरयनरा सगकरुच्च वीससयवरिसाऊ ||३२|| सुहमाइदुपसता, तेवीसुद्एहिँ चउजुअदुसहसा । जुगपवरगुरू तस्सम, इगारलक्खा सहस सोल ||३३|| एगवयारि सुचरणा, समयविउ पभावगा य जुगपवरा । पावयणियाइदुतिगाइवरगुणा जुगपहाणसमा ॥ ३४ ॥ बारवरिसेहि गोमु, सिद्धो वीराउ वीसहिँ सुहम्मो | चउसट्ठीए जंबू बुच्छिन्ना तत्थ दस ठाणा ॥ ३५॥ मणपरमोहिपुलाए, आहारगखवगउवसमे कप्पे । संज मतियकेवलिसिज्झणा य जंबुम्मि बुच्छिन्ना ||३६|| सिजंभवेण विहिअं, दसयालिय अट्ठनवइवरिसेहिं । सत्तरिसएहिँ थक्का, चउपुत्र्वा भहबाहुम्मि ||३७|| Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003287
Book TitleNavsmaranadisangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVicharshreeji, Damayantishreeji
PublisherNagindas Kevalshi Shah Ahmedabad
Publication Year1964
Total Pages258
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy