________________
SROR9555555555555555
(४३) उत्तरउज्झयणं (चउत्थं मूलसुत्त) अ. ३२
[३७]
OCs圳听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听
फासेसु जो गेहिमुवेइ तिव्वं अकालियं पावइ से विणासं । रागाउरे सीयजलावसन्ने गाहग्गहीए महिसे व रन्ने ॥७६।। १३११.जे यावि दोसं समुवेइ तिव्वं तस्सिंखणे से उ उवेइ दुक्खं । दुइंतदोसेण सएण जंतू न किंचि फासं अवरज्झई से ||७७|| १३१२. एगंतरत्तो रुइरंसि फासे अतालिसे से कुणई पओसं । दुक्खस्स संपीलमुवेइ ई बाले न लिप्पई तेण मुणी विरागे ॥७८॥ १३१४. फासाणुवाए ण परिग्गहेण उप्पायणे रक्खण-सन्निओगे । वए विओगे य कहिं सुहं से संभोगकाले य अतित्तिलाभे ? ॥८०॥ १३१५. फासे अतित्ते य परिग्गहम्मि सत्तोवसत्तो न उवेइ तुढेि । अतुट्ठिदोसेण दुही परस्स लोभाविले आययई अदत्तं ।।८१|| १३१६. तण्हाभिभूयस्स अदत्तहारिणो फासे अतित्तस्स परिग्गहे य । मायामुसं वड्डइ लोभदोसा तत्थावि दुक्खा न विमुच्चई से।।८२।। १३१७. मोसस्स पच्छा य पुरत्थओ य पओगकाले य दुही दुरंते । एवं अदत्ताणि समाययंतो फासे अतित्तो दुहिओ अणिस्सो ॥८३।। १३१८. फासाणुरत्तस्स नरस्स एवं कत्तो सुहं होज कयाइ किंचि । तत्थोवभोगे वि किलेसदुक्खं निव्वत्तए जस्स कए ण दुक्खं ।।८४११३१९. एमेव फासम्मि गओ पओसं उवेइ दुक्खोघपरंपराओ। पदुट्ठचित्तो य चिणाइ कम्मं जं से पुणो होइ दुहं ' विवागे॥८५|| १३२०. फासे विरत्तो मणुओ विसोगो एएण दुक्खोघपरंपरेण । न लिप्पई भवमज्झे वि संतो जलेण वा पुक्खरिणीपलासं ॥८६।। १३२१. मणस्स भावं गहणं वयंति तं रागहेउं तु मणुन्नमाहु । तं दोसहेउं अमणुन्नमाहु समो य जो तेसुस वीयरागो॥८७।। १३२२. मणस्स भावं गहणं वयंति भावस्स मणं गहणं वयंति । रागस्स हेउं समणुन्नमाहु दोसस्स हेउं अमणुन्नमाहु।।८८॥ १३२३. भावेसुजोगेहिमुवेइ तिव्वं अकालियं पावइ से विणासं। रागाउरे कामगुणेसु गिद्धे करेणमग्गाऽवहिए
गए वा ॥८९॥ १३२४. जे यावि दोसं समुवेइ तिव्वं तस्सिंखणे से उ उवेइ दुक्खं । दुईतदोसेण सएण जंतू न किंचि भावं अवरज्झई से ॥९०॥ १३२५. एगंतरत्तो + रुइरंसि भावे अतालिसे से कुणई पओसं । दुक्खस्स संपीलमुवेइ बाले न लिप्पई तेण मुणी विरागे ॥९१॥ १३२६. भावाणुगासाणुगए य जीवे चराचरे हिंसइ 4 णेगरूवे । चित्तेहिं ते परितावेइ बाले पीलेइ अत्तद्वगुरू किलिडे॥९२॥ १३२७. भावाणुवाए ण परिग्गहेण उप्पायणे रक्खण-सन्निओगे। वए विओगे य कहिं सुहं से
संभोगकाले य अतित्तिलाभे?॥९३|| १३२८. भावे अतित्ते य परिग्गहम्मि सत्तोवसत्तो न उवेइ तुढेि । अतुट्ठिदोसेण दुही परस्स लोभाविले आययई अदत्तं ॥९४।। १३२९. तण्हाभिभूयस्स अदत्तहारिणो भावे अतित्तस्स परिग्गहे य। मायामुसं वड्डइ लोभदोसा तत्थावि दुक्खा न विमुच्चई से ॥१५॥ १३३०. मोसस्स पच्छा य पुरत्थओ य पओगकाले य दुही दुरते। एवं अदत्ताणि समाययंतो भावे अतित्तो दुहिओ अणिस्सो ॥१६॥ १३३१. भावाणुरत्तस्स नरस्स एवं कत्तो सुहं होज्ज कयाइ किंचि ?। तत्थोवभोगे वि किलेसदुक्खं निव्वत्तए जस्स कए ण दुक्खं ॥९७|| १३३२. एमेव भावम्मि गओ पओसं उवेइ दुक्खोधपरंपराओ। पदुट्ठचित्तोय चिणाइ कम्मं जं से पुणो होइ दुहं विवागे॥९८॥ १३३३. भावे विरत्तो मणुओ विसोगो एएण दुक्खोधपरंपरेण । न लिप्पई भवमज्झे वि संतो जलेण वा पुक्खरिणीपलासं ॥९९।। १३३४. एविदियत्था य मणस्स अत्था दुक्खस्स हेउं मणुयस्स रागिणो। ते चेव थोवं पि कयाइ दुक्खं न वीयरागस्स करेति किंचि ॥१००॥ १३३५. न कामभोगा समयं उवेति, न यावि भोगा विगई उति । जे तप्पदोसी य परिग्गही य सो तेसु मोहा विगई उवेति ॥१०१॥ १३३६. कोहं च माणं च तहेव मायं लोभ दुगुंछं अरइं रइं च । हासं भयं सोग-पुमुत्थिवेयं नपुंसवेयं विविहे य भावे ॥१०२।। १३३७. आवज्जई एवमणेगरूवे एवंविहे कामगुणेसु सत्तो । अन्ने य एयप्पभवे
विसेसे कारुण्णदीणे हिरिमे वइस्से॥१०३॥१३३८. कप्पं न इच्छेज्ज सहायलिच्छू पच्छाणुतावेण तवप्पभावं । एवं विकारे अमियप्पकारे आवजई इंदियचोरवस्से ॐ ॥१०४॥ १३३९. तओ से जायंति पओयणाई निमज्जिउं मोहमहण्णवम्मि। सुहेसिणो दुक्खविणोयणट्ठा तप्पच्चयं उज्जमए य रागी।।१०५॥ १३४०. विरज्जमाणस्स क य इंदियत्था सद्दाइया तावइयप्पयारा। नतस्स सव्वे वि मणुन्नयं वा निव्वत्तयंती अमणुन्नयं वा॥१०६॥ १३४१. एवं ससंकप्पविकप्पणासुंसंजायती समयमुवट्ठियस्स। अत्थे.
य संकप्पयतो तओ से पहीयए कामगुणेसु तण्हा ॥१०७॥ १३४२. स वीयरागो कयसव्वकिच्चो खवेइ नाणावरणं खणेणं । तहेव जं दंसणमावरेइ जंचंतरायं पकरेइ कम्मं ॥१०८॥१३४३. सव्वं तओ जाणइ पासई य अमोहणे होइ निरंतराए। अणासवे झाणसमाहिजुत्ते आउक्खए मोक्खमुवेति सुद्धे ॥१०९॥ १३४४. सो तस्स
GO乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐听听听听听听听听听听听听听听听听$$$$$$$$2.A.
Education International 2010_03 Pornफफफफफ
www.jaine For Povete & Personal Use Only #555555श्री आगमगणमंजषा - १६७६555555555555555555555555OOR