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(५७) ॥ ढाल चोवीशमी॥ मोरा साहिब दो श्री
शीतल नाथ के ॥ ए देशी॥ ॥ एहवं चिंतवी हो ते मूकी संग्राम के,रासपति याव्यो तिहां ॥करी प्रणिपत हो नृपने तजी मान के, स्नेह सहित मलिया इहां ॥ १॥ पुण्याइ हो य धिकी संसार के, उत्तमचरित्र तुमारडी॥ मुज पुत्री हो थपबर अवतार के, विधियें तुज कारण घडी ॥२॥ जोरावर हो सुर असुर नरिंद के, नावि धागल को नहीं ॥ फोकटनो हो वही मन गर्व के, महारो न में नाग्यो सही ॥३॥ तुं माहारी हो पुत्रीनो कंत के, थयो जमाश्माहरो॥तुज साथै हो माहरेहवे प्रीत के, रूडो वांबु ताहरो॥ ॥ मन केरी हो नागी सदु जी ति के, ससरो जमा बेहु मल्या॥ मुज पुत्री दो सरि खो वर एह के, मुह माग्या पासा ढव्या ॥ ५॥ पु त्रीने दो जइ मलियो बाप के, बाप संघातें पुत्री म ली॥ हियडागुं हो नीडी हेत थाणी के, पुत्रीनी पू गी रली ॥६॥ शिर धारी हो याणा लंकेश के,उत्तम चरित्र नरेशनी ॥ लंकानुं हो देश्ने राज्य के, देन लामण देशनी॥ ७॥ मोकलीयो हो रासपति रा य के,सहुने आणंद उपनुं । एक दिवसें हो बेग द
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