SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 52
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (ए) ल वाशमी, शुक बोल्यो एणिपोरें जर रे॥१॥ तुं॥ सर्वगाथा ॥४१॥ ॥दोहा॥ ॥ स्वस्ति दून महाराज तुज, में पाम्युं सदु राज।। निरपराध मुज जाण दे, नहीं राज्यगुं काज॥ १ ॥ लान थयो इहां एटलो, गलशोषण जे काय ॥ पोंक न खाधो कर बव्या, घरना चूक्या घाय ॥२॥ वैद्य नणी कल्याण दुर, दाक्षिम्य मूको जेय ॥ पहिला ध न लेइ पढ़ें, गोली औषध देय ॥३॥ दादिम्य मेल्ही नवि शक्यो, हुँ मूरख शिरताज ॥ सर्व कथा कहीने प में, मागण लाग्यो राज ॥ ४ ॥ सोनल शुक राजा कहे, पूरण रोग न जाय ॥ वैद्य कर्तुं धन नविल हे, तुं केम राज लहाय ॥ ५॥ तें अरधी कही वार ता, पूरो न कह्यो नेद ॥ मूढ नतावल कां करे, था शे सफल नमेद ॥ ६॥ अनंगसेना गृह जाइने, कुमर निहाली बाज ॥ कथा सुणी सदु धागली, तुजने देश राज ॥ ७ ॥ चनु जेवार यावियुं, जमानी नांगी यारा ॥ तेम तुज वचन प्रतीत डे, बेसो दण यावास ॥७॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003250
Book TitleUttam Charitra Kumar Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinharshsuri
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1886
Total Pages76
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy