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________________ ( ४ २ ) तमने हितकारी रे | यातन तारुं श्रापणो, मनमां वात विचारी रे ॥ १३ ॥ एए॥ वरनी करे गवेषणा, पण न मले मन गमतो रे ॥ कहे जिनहर्ष पूरी थइ, स त्तरमी ढालें नमतो रे ॥ १४ ॥ ए॥ ० ॥ सर्वगाथा ॥ ३४४ ॥ ॥ दोहा ॥ ॥ पूग्यु शेव निमित्तियो, कोण कन्या वरदाख ॥ ज्ञान प्रयुंजी ते कहे, साची माने जाख ॥ १ ॥ महारा जावर एहने, मलशे एकण मास ॥ सामग्री विवाहनी, करो सगाई खास || २ || महेश्वरदत्त खुशी थयो, करें महोत्सव नूरि ॥ लगन लीयो एक मासनो, वाजे मंग लतूर ॥ ३ ॥ स्वजन तेडावे दूरथी, मंगल अनुपम कीध || मोहोटां तोरण बांधियां, नगरमांहे यश ली ध ॥ ४ ॥ धवल मल्हावे गोरडी, वरने देवा काज ॥ गज तुरंग वस्त्राचरण, करि राखे सहु साज ॥ ५ ॥ ॥ ढाल खढारमी ॥ राजा जो मिले । ए देशी ॥ ॥ पुरम िथइ सघले वात, महेश्वरदत्त विवाह विख्यात ॥ पुष्यें पामियें || एतो मन मान्या सुखशा त ॥ ० ॥ सांजली राय सनायें राय, मनमांहे वि स्मय वली थाय ॥ १ ॥ ० ॥ पहेले ममयो बे विवाह, वरनी वात न दीसे कांहि || पु०॥ कोण मा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003250
Book TitleUttam Charitra Kumar Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinharshsuri
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1886
Total Pages76
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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