SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 24
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (२१) हो रायकुमर पण तेहy,जोहो मोह्यो देखी रूप ॥जी हो चपल नयण चोटी गयो, जीहो जाग्यो प्रेम श्र नूप ॥११॥॥ जीहो बेदुनो राग जो करी, जी हो वृक्षा नारी ताम ॥ जोहो गंधर्व विवाह क। ति हां, जीहो परणाव्यां तेणे ठाम ॥ १२॥ लं० ॥ जी हो पृथिव्यादिक चारे नलां, जीहो पांच, रतन था काश ॥ जीहो प्रानाविक पांचे जलां, जीहो देवाधि ष्ठित खास ॥ १३ ॥ लं० ॥ जीहो पांच रतन मदा लसा,जीहो ले वृक्षा रे नारि ॥ जीहो याव्यो कुमर उतावलो, जीहो तेणिहिज कूप मजार ॥ १४ ॥ जीदो समुदत्तना आदमी,जीहो जल काढे तिणीवा र॥ जोहो कहे जिन हर्षे युं हवे, जोहो उत्तम चरि त्रकुमार ॥ १५ ॥ ॥ सर्वगाया ॥१७॥ ॥दोहा॥ ॥ बाहिर काढो मुज नणी, नाखे एम कुमार॥ रकु प्रयोगें निसयां, त्रणे जण तेणि वार ॥ १॥स घले विस्मय पामियो,अचरिज थयुं अपार ॥ जलदेवी के किन्नरी,के अपनर अवतार ॥२॥ कुमरनणी पूले सद सुर कन्या कोण एह ॥ सदु वृत्तांत सुणी इश्यु, हरख्या सदु नर तेह ॥ ३ ॥ प्रवहण चढीने चालि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003250
Book TitleUttam Charitra Kumar Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinharshsuri
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1886
Total Pages76
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy