SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 2
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रो. सागरमल जैन जीवन परिचय जन्म और बाल्यकाल प्रो. सागरमल जैन का जन्म भारत के हृदय मालव अंचल के शाजापुर नगर में विक्रम संवत् 1988 की माघ पूर्णिमा के दिन हुआ था। आपके पिता श्री राजमल जी शक्करवाले मध्यम आर्थिक स्थिति होने पर भी ओसवाल समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों में माने जाते थे। आपके जन्म के समय आपके पिताजी सपरिवार अपने नाना-नानी के साथ ही निवास करते थे, क्योंकि आपके दादा-दादी का देहावसान आपके पिताजी के बचपन में ही हो गया था। बालक सागरमल को सर्वाधिक प्यार और दुलार मिला अपने पिता की मौसी पानबाई से। उन्होंने ही आपके बाल्यजीवन में धार्मिक-संस्कारों का वपन भी किया। वे स्वभावतः विरक्तमना थीं। उन्होंने पूज्य साध्वी श्री रत्नकुंवरजी म.सा. के सान्निध्य में संन्यास ग्रहण कर लिया था। वे प्रवर्तनी रत्नकुंवरजी म.सा. के साध्वी संघ में वयोवृद्ध साध्वी प्रमुखा के रूप में शाजापुर नगर में ही स्थिरवास रही थी। इस प्रकार, आपका पालन-पोषण धार्मिक संस्कारमय परिवेश में हुआ। मालवा की माटी से सहजता और सरलता तथा परिवार से पापभीरूता एवं धर्म-संस्कार लेकर आपके जीवन की विकास यात्रा आगे बढ़ी। शिक्षा बालक सागरमल की प्रारम्भिक शिक्षा तोड़ेवाले भैया की पाठशाला में हुई। यह पाठशाला तब अपने कठोर अनुशासन के लिए प्रसिद्ध थी। यही कारण था कि आपके जीवन में अनुशासन और संयम के गुण विकसित हुए। इस पाठशाला से तीसरी कक्षा उत्तीर्ण कर लेने पर आपको तत्कालीन ग्वालियर राज्य के एंग्लो वर्नाक्यूलर मिडिल स्कूल की चौथी कथा में प्रवेश मिला। यहाँ रामजी भैया शितूतकर जैसे कठोर एवं अनुशासप्रिय अध्यापकों के सान्निध्य में आपने कक्षा 4 से कक्षा 8 तक की शिक्षा ग्रहण की और सभी परीक्षाएँ प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। माध्यमिक (मिडिल) परीक्षा में प्रथम श्रेणी के साथ-साथ शाजापुर जिले में प्रथम स्थान प्राप्त किया। ज्ञातव्य है कि उस समय माध्यमिक परीक्षा पास करने वालों के नाम ग्वालियर गजट में निकलते थे। जिस समय इस मिडिल स्कूल में आपने प्रवेश लिया था, उस समय द्वितीय महायुद्ध अपनी समाप्ति की ओर था और दिल्ली एवं मुम्बई के मध्य आगरा-मुम्बई रोड़ पर स्थित शाजापुर नगर के उस स्कूल के पास का मैदान सैनिकों का पड़ाव-स्थल था, साथ ही उस समय डॉ. सागरमल जैन-एक परिचय : 1 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003249
Book TitleSagarmal Jain Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2011
Total Pages50
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy