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फिर भी आज और अभी तो तुम्हारे हाथ में है, उसे खुशी से तो जी सकते हो। भूत और भावी का रोना क्यो रोते हो? जो आज तुम्हारे हाथ में है, उसके सहारे जिन्दगी बना सकते हो। जीवन तो सदा वर्तमान में जिया जाता है, जो भूत की चिन्ता और भविष्य की कल्पना छोड़ वर्तमान मे जीता है, वही तो जग में सुखी होता है। जिन्दगी तो बस जी भर जीने का नाम है। यह कोई पुलावी ख्याल नहीं। यहाँ तो गुजर गया उसका गम न करो
और आने वाला कल है उसके सुनहले सपने भी मत संजोओ। जो गुजरे कल का रोना नही रोता है,
और आने वाले कल की फिक्र का फांका करता है, सही मे वही जिन्दगी का लुफ्त उठाता है। क्या वह खाक जीयेगा, जो गुजरे कल का रोना रोता है। या फिर आने वाले कल का ताना-बाना बुनता है यारों जो कुछ कुदरत की नियामत, आज तुम्हे मिली है उसे मौज-मस्ती से जी लो। जिन्दगी का जाम, तो तुम्हारे हाथ में है, इसे तो छक कर पीलो ।
जैन अध्यात्मवाद : आधुनिक संदर्भ में : ३२
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