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48. ज्ञाताधर्मकथा अध्ययन 8, सूत्र 30, 31 . 49. आवश्यकचूर्णि, भाग 1, पृष्ठ 152 50. आवश्यकचूर्णि, भाग 1, 142-143 51. जैनागम साहित्य में भारतीय समाज, डॉ. जगदीशचन्द्र जैन पृ. 253-266 52. ज्ञाताधर्मकथा अध्याय 16, सूत्र, 82-74 53. उवासकदसा 1, 48 54. उवासकदसा, अभयदेवकृतवृत्ति पृ. 43 55. निशीथचूर्णि, भाग 2, 381 56. ज्ञाताधर्मकथा, द्वितीयश्रुतस्कन्ध, प्रथम वर्ग, अध्याय 2-6
द्वितीय वर्ग, अध्याय 5, तृतीय वर्ग, अध्याय 1-54 57. ज्ञाताधर्मकथा, प्रथमश्रुस्कन्ध, अध्याय 16, सूत्र 82-84 58. निशीथचूर्णि, भाग 3, पृ. 267 59. निशीथचूर्णि, भाग 2, पृ. 183 60. निशीथचूर्णि, भाग 1, पृ. 129 61. निशीथचूर्णि, भाग 3, पृ. 234 62. (अ) निशीथचूर्णि, भाग 2, पृ. 59-60 (ब) तेसिं पंच महिलासताई, ताणि वि अग्गिं पावट्ठाणि ।
--निशीथचूर्णि, भाग 4, पृ. 14 63. महानिशीथ पृ. 29 1 देखें, जैनागम साहित्य में भारतीय समाज, पृ. 281 64. आवश्यकचूर्णि. भाग 1, पृ. 318 65. मन्त्रिण्यौ ललितादेवी सौख्यौ अनशनेन मम्रतुः ।
--प्रबन्धकोश, पृष्ठ 129 66. एवमेगे ध पासत्था, पन्नवंति अणारिया।
इत्थीवसगया बाला, जिणसासणपरम्मुहा॥ जहा गंड पिलागं वा, परिपीलेज्ज मुहुत्तंगं । एवं विन्नवणित्थीसु, दोसो तत्थ कओ सिया ?
-- सूत्रकृतांग, 1/3/4/9-10 67. उपासकदशा 1, 48
जैन धर्म में नारी की भूमिका :47
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