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________________ सहायकों के शुभ नाम । यह प्राकृतभाषाका प्राचीन और विस्तीर्ण अन्य का सानुवाद प्रकाशनका पवित्र कार्यमें पात:स्मरणीय मुनि महाराज श्री राजविजयजीके सदुपदेशसे जिन सद्गृहस्थोंने उल्लेखनीय आर्थिक नहायता करके अपनी धार्मिकता और शासनप्रियताके साथ उदारताका परिचय दिया है उन हानुभावों के साधुवादाई नाम और मददकी रकम इस प्रकार है। जिसमें श्रीयुत मोहनलालभाई वुशालचंद, जिसने इस कार्यकी पहल की है। श्रीयुत शामचंद केवलदास, जिसकी तर्फसे सबसे राधिक मदद की गई है; और श्रीयुत राव साहेब आत्माराम भाई हरखचंद, जो जैनधर्मावलम्बी होने पर भी जैन साहित्यकी तर्फ क्रियात्मक अनुराग रखते हैं, विशेषतः धन्यवाद के पात्र हैं। रकम । नाम । स्थान । पूना तळेगाम ढमढेरा (पूना) पूना ७००) १२५) २५०) १००) १२५) ७५) तळेगाम ढमढेरा (पूना) शेठ मोहनलाल खुशालचंद शेठ शामचंद केवलचंद संघवी राव साहेब आत्मारामभाई हरखचंद शेठ जमनादास माणेकचंद शेठ शिवराम कस्तूरचंद शेठ चुन्नीलाल गणेश शेठ बालूभाई प्रेमचंद शेठ खूबचंद रामचंद शेठ राहोबा रामचंद शेठ वीरचंदजी हिंदुमलजी शेठ कनकमलजी दलीचंदजी द्वारा । शेठ रवचंद लालचंद प्रकीर्ण १५०) १००) ३००) १००) ७५) येवला (नासिक) माहाडा (सोलापुर) बारसी , अहमदनगर जूनेर (पूना) प्रकाशक । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003242
Book TitleSupasnahachariyam Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmangani, Hiralal Shastri
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1919
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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