________________
-
h
ath
८८]
आचारांग सूत्र
बैठते हों, नग्नावस्था में संभोग सम्बन्धी बातें करते हों, दूसरी गुप्त बातें करते हों अथवा जिस घर में कामोद्दीपक चित्र हो-ऐसे मकान में मुनि न रहे । [११-६८]
स्थान कैसे मांगे? मुनि को राय आदि में जाकर अच्छी तरह तलाश करने के बाद स्थान को मांगना चाहिये । उसका जो गृहस्वामी या अधिष्ठाता हो, उससे इस प्रकार अनुमति लेना चाहिये, 'हे आयुष्मान् ! तेरी इच्छा हो तो तेरी अनुमति और आज्ञा से हम यहाँ कुछ समय रहेंगे।' अथवा (अधिक समय · रहना हो तो) जब तक रहना होगा या यह मकान जबतक तेरे अधीन होगा तबतक रहेंगे और उसके बाद चले जायेंगे, तथा (कितने रहेंगे, ऐसा पूछने पर ठीक संख्या न बता कर) जितने आयेंगे, उतने रहेंगे। [१]
भिन्नु जिसके मकान में रहे, उसका नाम पहिले ही जान ले, जिससे वह निमन्त्रण दे या न दे तो भी उसका श्राहार-पानी (भिक्षा) न ले सके । [१०]
कुछ दोष कोई भिन्नु सराय (सराय से उस स्थान का तात्पर्य है जहां बाहर के यात्री पाकर ठहरा करते हैं, पहिले वे शहर में न होकर बाहर अलग ही होती थीं) आदि में (अन्य ऋतु में एक मास और वर्षाऋतु में चार मास) एक बार रह चुकने के बाद वहां रहने को फिर आता है तो यह कालातिक्रम दोष कहलाता है । [१]
कितने ही श्रद्धालु गृहस्थ अपने लिये पड़साल, कमरे, प्याऊ का स्थान, कारखाने या अन्य स्थान बनाते समय उसे श्रमण ब्राह्मण
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org