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खडा रहने का स्थान
[ ११७
दादी, रोम और नाखून का भाग त्याग कर (परिमित काल तक ) बिना हिले-चले खड़ा रहने का नियम ले ।
अवहेलना
इन चारों में से एक नियम लेने वाला दूसरे की न करे.. - आदि भिक्षा अध्ययन के अन्त - पृष्ट ६३ के अनुसार ।
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भिक्षु या भिक्षुणी के श्राचार की यही सम्पूर्णता है....... . श्रादि भाषा अध्ययन के अन्त - पृष्ट १०४ के अनुसार । [ १६ ]
नौवाँ अध्ययन
निशीथिका - स्वाध्याय का स्थान
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भिक्षु या भिक्षुणी को स्वाध्याय करने के लिये स्थान की जरूरत पड़े तो गांव, नगर या राजधानी में जावे और जीवजन्तु से रहित स्थान को ही स्वीकार करे आदि शय्या अध्ययन के सूत्र ६४ और ६२, पृष्ट ८४-८५ के कन्दमूल के वाक्य तक के अनुसार । वहाँ दो, तीन, चार या पांच भिक्षु स्वाध्याय के लिये जायें तो वे सब आपस में एक-दूसरे के शरीर को आलिंगन न करें, चुम्बन न करें, या दांत - नख न लगावें ।
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भिक्षु या भिक्षुणी के भाषा अध्ययन के अन्त - पृष्ट
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आचार की यही सम्पूर्णता है-आदि १०४ के अनुसार । [ १६४ ]
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