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घर के द्वार के सामने देवों के निवास का शुभाशुभ फल
(1) घर के द्वार के सामने जिनेश्वर प्रभु की पीठ, (2) सूर्य और महादेव की दृष्टि, (3) विष्णु की बांईं भुजा, (4) सब जगह चण्डी देवी, (5) और ब्रह्मा की चारों दिशाएं सब अशुभ कारक हैं। इसलिए इन सबको अवश्य छोड़ना चाहिए।
(6) अरिहंत (जिनेश्वर) की दृष्टि घर के सामने या दक्षिण भाग हो, तथा (7) महादेव की पीठ या बांईं भुजा हो तो बहुत कल्याणकारक है परन्तु (8) इससे विपरित हो तो बहुत दुःखकारक है । यदि (9) बीच में सदररास्ते का अन्तर हो तो दोष नहीं माना जाता।
- घर पर मंदिर की ध्वजा आदि की छाया का शुभाशुभ फल
पहले और अन्तिम (चौथे) पहर को छोड़कर दूसरे और तीसरे पहर में मंदिर की ध्वजादि की छाया घर के ऊपर गिरती हो तो दुःखकारक जानना। इसलिए इस छाया को अवश्य छोड़ना चाहिए। अर्थात् दूसरे तीसरे पहर में मंदिर की ध्वजादि की छाया जिस जगह पर गिरे ऐसी जगह पर घर नहीं बनाना चाहिए।
श्वेताम्बर जैन कैसी जिनप्रतिमाओं की उपासना करते हैं ?
हम लिख आए हैं कि श्वेताम्बर जैन तीर्थंकर भगवन्तों (जिनेन्द्रदेवों) की पांच कल्याणकों, साधना, तपस्या काउस्सग्ग मुद्राओं में नग्न, अलंकृत, अनग्न आदि अनेक प्रकार की जिनप्रतिमाओं को पूज्य मानते हैं। इस बात को अधिक स्पष्ट करने केलिए यहां कुछ पुरातत्त्व के ऐतिहासिक प्रमाण देकर पाठकों की जानकारी में वृद्धि करेंगे।
1. मथुरा (उत्तरप्रदेश) के कंकाली टीले की खुदाई से बहुत संख्या में तीर्थंकरों की अनेक प्रकार की प्रतिमाएं मिली हैं। उन में नग्न भी हैं। उन प्रतिमाओं पर अकित लेखों से यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि वे सब प्रतिमाएं बहुत प्राचीन (ईसा पूर्व कई शताब्दियां) काल में स्थापित और प्रतिष्ठित की गई थीं । मात्र कंकाली टीले से ही नहीं अपितु सारे व्रज प्रदेश से ऐसी प्रतिमाएं जो उस काल में श्वेतांबर जनों द्वारा प्रतिष्ठित की गई थीं सर्वत्र प्राप्त हो रही हैं। विद्वानों की धारणा है कि नग्न प्रतिमाएं दिगम्बर ही मानते हैं, श्वेताम्बर जैन नहीं मानते । इसलिए जहां भी खुदाई से अथवा अन्य स्थान से नग्न तीर्थंकर की प्रतिमा प्राप्त होती है, उससे लोग यह समझने लगते हैं कि यह प्रतिमा दिगम्बर पंथ वालों की है इसलिए दिगम्बर पंथ प्राचीन काल से ही विद्यमान चला आ रहा है। ऐसा समझकर इतिहासवेता जैन इतिहास से प्रायः खिल
1. दिगम्बर पंथ वाले तीर्थकर की मात्र नग्न प्रतिमाएं ही मानते है अन्य प्रकार की प्रतिमाएं मानने के सख्त विरोधी हैं तथा वर्तमान में श्वेताम्बर जैनों में भी यह मान्यता जोर पकड़ती जा रही है कि नग्न मूर्तियां श्वेताम्बर नहीं मानते । मान दिगम्बर मानते हैं। जो कि मिथ्या है
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