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________________ 185 करता है-वह मिथ्यावृष्टि, दर्शनभ्रष्ट, पापी, सम्यग्दर्शन का घातक और जिनधर्म का द्रोही है। दोनों दिगम्बर पंथों के पूजा विधानों में अन्तर का कोष्टक दिगम्बर बीसपंथ दिगम्बर तेरहपंथ 1. अभिषेक पूजा-प्रतिष्ठित जिन 1. प्रतिष्ठित जिनप्रतिमा को गीले प्रतिमा की जल, दही, दूध, घी इक्षुरस, कपड़े से पोंछकर अभिषेक पूजा तथा सुगंध मिश्रित जलादि से अभिषेक पूजा थाली में चावलों का स्वस्तिक बनाकर की जाती है। तीर्थंकर का आह्वान करके स्थापना कर और एक कटोरी में छोटे कलश से जल धारा देकर अभिषेक पूजा करते हैं। 2. चंदन पूजा-चंदन केशर कर्पूर 2. चंदन पूजा-चंदनादि मिश्रित आदि सुगंध द्रव्यों के मिश्रित रस से द्रव्यों के घोल से तीर्थंकर की स्थापना प्रतिष्ठित मूर्ति के चरण युगल पर तिलक वाली थाली में धारा देकर चंदन पूजा । और विलेपन से चंदण पूजा। 3. पुष्प पूजा ---सचित, ताजे, सुगं- 3. पुष्प पूजा-चावलों को धोकर धित, अखड विकसित नाना प्रकार के केसर से रंग कर तथा लबंग से वनस्पति पुष्पों से प्रतिष्ठित जिनप्रतिमा के चरण परक पुष्पों के बदले में थाली में प्रतिष्ठित युगल पर चढ़ाकर पूजा तथा तीर्थंकर की स्वस्तिक पर चढ़ा कर पुष्प पूजा । प्रतिमा के गले में फूलमाला पहना कर । 4. धूप पूजा-- अगर, शिलारस, 4. धूप पूजा-बीसपंथ की पूजा के चंदन, घी आदि से मिश्रित धूप बत्तियों समान ही प्रतिदिन तथा सुगंध दसमी को सुलगा कर मूर्ति के सन्मुख रखना तथा (भादो सुदि दसमी) के दिन धूप पूजा की दसलाक्षणी पर्व में सुगंध दसमी के दिन जाती है। नगर के सब जैनमंदिरों में बड़े आडम्बर पूर्वक लोहे के तसले में आग सुलगा कर खूब अधिक धूप सुलगाकर धूप पूजा की जाती है। 5. दीपक पूजा-घी का दीपक जला 5. थाली में प्रतिष्ठित स्वस्तिक के कर प्रतिष्ठित प्रतिमा के सन्मुख रखकर सन्मुख घी का दीपक जला कर की जाती दीपक पूजा की जाती है। प्राय: सायं है। आरती जलाकर आरती भी करके दीपक पूजा की जाती है। ____6. अक्षत पूजा-प्रतिष्ठित प्रतिमा 6. अक्षत पूजा-थाली में प्रतिष्ठित : के सामने स्वच्छ चावलों की पांच ढेरियां स्वस्तिक के सामने स्वच्छ चावलों की पांच Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003237
Book TitleJain Dharm aur Jina Pratima Pujan Rahasya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherJain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
Publication Year1984
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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