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ज्योतिषशास्त्र और राजकुमार वर्धमान
महावीर का विवाह सूर्यवंश क्षत्रिय घराणों में जैन परम्परा में मान्य 24 तीर्थकरों में से 22 तीर्थकर हुए हैं । शेष दो चन्द्रवंशी क्षत्रिय घरानों में हुए हैं।।
महावीर स्वामी ने अपने पूर्ववर्ती 23 तीर्थंकरों के उपदेशों का अवगुण्ठन कर के और समयानुकूल संशोधन करके जैन विचारधारा को क्रमबद्ध कर देने का ऐतिहासिक कार्य किया था। आप भगवान् बुद्ध के समकालीन थे।
जैन परम्परा में जिसे श्वेतांबर साहित्य कहा जाता है, उसमें महावीर स्वामी के जीवन सम्बन्ध में अपेक्षाकृत अधिक सामग्री है तथा अधिक प्रमाणिक भी है। दिगम्बर परम्परा के अनुसार इनके कोई भाई-बहिन, पत्नी पुत्री आदि नहीं थे। श्वेताबर परम्परा इन ऐतिहासिक तथ्यों को छिपाती नहीं, बल्कि स्वीकार करती है क्योंकि पारिवारिक स्थिति से महावीर की महानता में कोई अन्तर नहीं आता है।
आपकी पारिवारिक स्थिति इस प्रकार है
पिता-वैशाली नरेश सिद्धार्थ जो काश्यप गोत्रीय ज्ञात शाखा के इक्ष्वाकु कुल के सूर्यवंशी क्षत्रिय थे ।
माता-महारानी त्रिशलादेवी जो सूर्यवंश के वाशिष्ठ गोत्र की थीं।
पत्नी-कलिंग की राजकुमारी यशोदा जो कौडिन्य गोत्रीया थी और महासामन्त समरवीर की पुत्री थी।
पुत्री-अनवद्या प्रियदर्शना जो राजकुमार जमाली (कौशिक गोत्रीय एक क्षत्रिय युवराज थे) से ब्याही गई थीं।
__ महावीर स्वामी की एक देहाती का भी वर्णन आता है जिसका नाम यशस्वती शेषवती था।
आपके जामाता जमाली आपके अनुयायी हो गए थे, किंतु बाद में मतभेद होने पर वह न केवल आपका साथ छोड़ गए, बल्कि आपके विरोधी भी बन गए थे।
इनके अतिरिक्त आपके अन्य कुटुम्बीजन भी थे। चाचा सुपार्श्व, बुआ यशोधरा, मामा चेटक जिनकी अन्य छह पुत्रियां (महावीर स्वामी की बहनें) अन्य प्रतिष्ठित राजघरानों में ब्याही गई थीं। ज्येष्ठ भ्राता नन्दिवर्धन जो बाद में राजा बने । ज्येष्ठ भगिनी-सुदर्शना।
यों तो बाल्यकाल से ही आपका रुझान क्षत्रियोचित कर्मों की बजाय वैराग्य की तरफ अधिक था, लेकिन माता-पिता के निधन के बाद भाई-भाभी के काफी रोकने के बावजूद अपने अट्ठाइसवें वर्ष में वैराग्य ले लिया तथा तीसवें वर्ष में गृहत्याग दिया।
1. राजकुमार वर्धमान महावीर विवाहित थे नामक पुस्तक 1982 ई० में प्रकाशित की है । उस पुस्तक की पूर्ति के लिए यह लेख परिशिष्ट रूप में यहाँ प्रकाशित किया है।
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