________________
इसके पश्चात् ४ थी ५ वी गाथा में विश्व के शाश्वत जिनमंदिरों तथा शाश्वत जिनबिंबों की संख्या बताकर उन्हें वंदना की गई है। इतना अवश्य है कि इसमें व्यंतर और ज्योतिष देवलोक में स्थित शाश्वत मंदिरों और प्रतिमाओं की संख्या का समावेश नहीं है, क्योंकि वे असंख्य हैं ।
१२. जंकिंचिनाम- तित्थं सूत्र
जंकिंचि नाम तित्थं, सग्गे पायालि माणुसे लोए, जाई जिणबिंबाई, ताई सव्वाइं वंदामि ॥ १ ॥
शब्दार्थ
जंकिंचि
नाम
तित्थं
सग्गे
पायाल
माणुसे लोए जाई
जिण बिंबाई ताई सव्वाई वंदामि
Jain Education International
-
-
-
-
-
*
जो कोई
(यह वाक्यालंकार रूप शब्द है)
तीर्थ है
स्वर्ग में
पाताल में
मनुष्य लोक में जितने
जिन प्रतिमाएँ हैं,
उन सबको वंदना करता हूँ
६७
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org