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न कारवेमि - कराऊं नहीं तस्स भंते - हे भगवन् ! (अब तक सेवित)
उस (पापप्रवृत्ति) का पडिक्कमामि - प्रतिक्रमण करता हूं निंदामि - आत्म-साक्षी से निंदा करता हूं गरिहामि - गुरु के समक्ष निंदा करता हूं अप्पाणं वोसिरामि - मैं ऐसी पापयुक्त (अपनी पापी आत्मा का ममत्व छोड़ देता हूँ) आत्मा को वोसिराता हूं।
भावार्थ . (गुरुजी से सामायिक का पच्चक्खाण लेते समय कहना चाहिए) हे गुरु भगवन् (हे 'भंते' = भगवंत, भदंत कल्याणकारी) ! मैं सामायिक करता हूँ। पापों के व्यापार का त्याग करता हूं (त्याग का नियम लेता हूं।) इससे
जब तक मैं इस नियम में बद्ध रहूं तब तक मैं मन, वचन, काया तीनों प्रकार से न तो पाप-प्रवृत्ति करूंगा, न कराऊंगा।
इससे पूर्व मैंने जो पाप-प्रवृत्ति की हों उनसे (हे भगवन् !) मैं वापिस लौटता हूँ। (कृत पाप-प्रवृत्तियों का मिथ्या-दुष्कृत करता हूँ।) उन पाप-प्रवृत्तियों की आत्म-साक्षी से निंदा करता हूँ, गुरु की साक्षी से निन्दा करता हूँ, तथा पापभावयुक्त आत्मा को छोड़ता हूँ यानी इसके प्रति ममत्व का त्याग करता हूँ।
सूत्र - परिचय इस सूत्र में मुख्यत: सामायिक की बात है, अत: इसे सामायिक सूत्र भी कहते हैं। सूत्र का प्रारम्भ 'करेमि भंते' शब्द
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