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________________ संकमणे जे मे जीवा विराहिया एगिंदिया बेदिया तेइंदिया चउरिंदिया पंचिदिया अभिया वत्तिया लेसिया संघाइया संघट्टिया परियाविया किलामिया उद्दविया ठाणाओ ठाणं - तस्स मिच्छा मि दुक्कडं wede - Jain Education International - -- पर आक्रमण करने में-- कुचलने में मेरे द्वारा जो जीव संकामिया जीवियाओ ववरोविया - - पीड़ित हुए एक इन्द्रियवाले जीव दो इन्द्रियवाले जीव तीन इन्द्रियवाले जीव चार इन्द्रियवाले जीव पाँच इन्द्रियवाले जीव पाँव टकराया, आक्रमण किया उलटे किए, धूल से ढके गए परस्पर रगडे गए, इकट्ठे किए गए, छूए गए व्यथित किए गए अंगभंग किए गए मृत प्राय: किये गये एक जगह से दूसरी जगह फिरे गए, धकेले गए प्राणरहित किए गए उस विराधना का मिथ्या हो मेरा दुष्कृत्य २७ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003232
Book TitleAradhana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvanbhanusuri
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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