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________________ अंतरजामी जगजन नेता, तुं किंहा नथी छानो रे... समय. ॥ २ ॥ जेणे तुजने हियडे नवि धार्यो, तास जनम कुण लेखे रे, काचे राचे ते नर मूरख, रतनने दूर उवेखे रे... समय. ॥ ३ ॥ सुरतरु छाया मूकी गहरी, बाउल तले कुण बेसे रे, ताहरी ओलग लागे मीठी, किम छोडाय विशेषे रे.... समय ॥ ४ ॥ वामा नंदन पार्श्वप्रभुजी, अरजी उरमां आणो रे, रुप विबुधनो मोहन पभणे, निज सेवक करी जाणो रे... समय. ॥ ५ ॥ (२) प्रभु पास चिंतामणि मेरो, हां रे प्रभु, मिल गयो हीरो ने मिट गयो फेरो, से नाम जपुं नित तेरो रे प्रीतः लगी मेरी प्यारे प्रभु जैसो चंद चकोरो रे आनंदघन प्रभु चरण शरण है मुज दीयो मुक्ति को डेरो रे Jain Education International ॥ ३ ॥ प्रभु... (३) कोयल टहुकी रही मधुबन में, पार्श्व शामलिया वसो मेरे दिल में...... काशीदेश वाराणसी नगरी, जन्म लियो प्रभु क्षत्रिय कुल में... पार्श्व १ बालपणाथी प्रभु अद्भुत ज्ञानी, कमठ को मान हर्यो एक पलमे नाग निकाला का चिराकर, नागकुं सुरपति कियो एक छिन में...पार्श्व ३ १३६ ॥ १ ॥ प्रभु... For Private & Personal Use Only ॥ २ ॥ प्रभु... www.jainelibrary.org
SR No.003232
Book TitleAradhana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvanbhanusuri
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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