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(३) सामान्यजिन-स्तवन
लाग्या नेह जिन चरणे हमारा, जिम चकोर चित्त चंद पियारा चंद पियारा... । सुनत कुरंग' नाद मन लाइ, प्रान तजे पर प्रेम निभाइ, घन तज पानी न जाचत जाइ, ए खग चातक केरी बडाइ, लाग्या नेह... ॥१॥ जलत नि:शंक दीपके मांही, पीर पतंग कु होत के नाही? पीड़ा होत तदपण तिहा जाही, (जाइ) शंका प्रीतिवश आवत नाही लाग्या नेह... ॥२॥ मीन मगन नहीं जलथी न्यारा, मानसरोवर हंस आधारा, चोर नीरख निशि अति अंधियारा, केकी मगन सुन फुन गरजारा लाग्या नेह ।३।। प्रणव ध्यान जिम जोगी आराधे, रसरीति रस साधक साधे, अधिक सुगंध केतकी में लाधे, मधुकर तस संकट नवि वाधे, लाग्या नेह ॥४॥ जाका चित्त जिहां थिरता माने, ताका मरम तो तेहि ज जाने, जिनभक्ति हिरदे में ठाने, चिदानंद मन आनंद आने, लाग्या नेह... ॥५॥
१. हिरण
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