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ज्ञान
.......३९-४०-४१ अछेरा ..............
............५६ मुनियों का धर्म
............ श्रावकों का धर्म
............ मुनियों का-अरु श्रावकों का कीस लीये धर्म पालनां, तिस विषयक ब्यान ....
............ महावीर स्वामीने दिखलाये हुए धर्म विषयक पुस्तक..... ......................... ६९-७०-७१-७२-७३ जैनमत के आगम (सिद्धांत)...
............७४ देवर्द्धि गणिक्षमाश्रमणके पहिले जैन मत के पुस्तक ...........
......................७५ महावीर स्वामीके समयमें जैनीराजें
........७६-७७ त्रेविशमें तीर्थंकर पार्श्वनाथ अरु तिनकी पद परंपरा ......
.....................७९-८० जैन बौद्धमें से नही किंतु अलग चला आता है .....................८१ बुद्धकी उत्पत्ति ...
.............८२ आयुष बढता नही है.........
.........९०. उत्तराध्ययन सूत्र .................................... .............९४ निर्वाण शब्दका अर्थ .............
.............९५ आत्माका निर्वाण कब होता है अरु पिछे तिसकों कोन कहां ले जाता है ........................९६-९७-९८-९९ अभव्य जीवका निर्वाण नही अरु मोक्षमार्ग बंध नहीं
................१००-१०१-१०२ आत्मा का अमरपणां अरु तिसका कर्ता ईश्वर नही. .... ............. १०३-१०४-१०५-१०६ जीवकों पुनर्जन्म क्यों होता है अरु तिसके बंध होने में क्या इलाज है
........... १०७-१०८ आत्मा का कल्याण तीर्थंकर भगवान से होने विषयक ब्यान .........
... १०९-११० जिन पूजा का फल किस रीतिसें होता है
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