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इसलिए वह इन्द्र पर कुद्ध या अरुचिवाली बनी हो तभी न? यह क्या? क्षण पूर्व इन्द्र पर रागवाली थी सो अब विरागी बनी इन्द्राणी की भी यह स्थिति है तो दूसरी स्त्रियों का तो पूछना ही क्या? तब पूछिये न?
प्र. क्या पुरुषों को ऐसा नहीं होता?
उ. चाहा-अनचाहा होने की बात तो पुरुषों पर भी लागू होती है। लेकिन पुरुषों का पेट बडा है, अतः वे इच्छा विरुद्ध बने उसे भी पचा लेते हैं; मानसिक समाधान कर लेते
हैं।
अनचाहे पर मन का समाधान :(१) 'होता है, संसार है, इसलिए ऐसे भी बन जाता है।' अथवा (२) 'अगले के कोई कारण आ पड़ा होगा इसलिए ऐसा हुआ होगा।' या
(३) 'उनके अन्य अच्छे तत्त्वों के सामने यह न आनेवाली बात हो गयी सो किस बिसात में है कि उस पर नाराज़ हुआ जाय ?'
(४) 'अगले का प्रेम-सद्भाव कायम रखना हो तो ऐसी प्रतिकूल बातें जो हो जाएँ उन्हें पी जाना चाहिए लेकिन क्रोध कर के सामने से दोषारोपण नहीं करना चाहिए, अन्यथा प्रेम-सद्भाव आहत होगा।'
मन में ऐसा कोई न कोई समाधान आ जाने से पुरुष को क्षण में विराग करने की जरुरत नहीं रहती। स्त्रियाँ बेचारी स्त्रीत्व के पाप के साथ उसके मित्रसमान दूसरे भी पाप लेकर आयी हैं, अत: ऐसा बड़ा पेट कहाँ से लाएँ ? ध्यान रहे कि पूर्व भव में स्त्रीत्व का
पाप उपार्जन करते समय मन के अध्यवसाय मलिन थे। अच्छे होते तो पुरुषत्व न ले · आते ? अब ऐसे मलिन अध्यवसायों के संस्कार यहाँ पर छिछला पेट ही देंगे न ?
सामान्यतया बहुत दुःखी मनुष्यों में दूसरी तुच्छताएँ क्यों अधिक पायी जाती है ? कारण यह है कि यहाँ वे जो पाप भोगते हैं, पाप उपार्जन करते समय मैले भावों में उपार्जन किया था। उनके संस्कार भी यहाँ साथ आये हैं। अत: वे आत्मा में तुच्छताएँ उत्पन्न करें यह स्वाभाविक है। यह सामान्य नियम हैं। वैसे अपवाद हो सकते हैं कि दुःखी होते हुए भी आत्मा में इतनी अधिक तुच्छताएँ न भी हों । ऐसी अच्छी स्त्रियाँ भी दुनिया में दिखाई देती हैं जो स्त्रीत्व लायी हैं तो भी अनेक गुणों से भरी हैं। फिर भी अधिकांशत: यही होता है कि पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों के दिल छिछले होते हैं, अतः वे क्षण में प्रेम दिखाने लगती है, और क्षण में उदासी।
मानभट सोचता है कि स्त्रियों को घड़ी घड़ी रोष से तोष में और तोष से रोष में बदलते देर नहीं लगती । उसका मन ऐसा है; जरा जरा सी बात से प्रभावित होते देर नहीं लगती। फिर चाहे उसकी कितनी ही सम्हाल रखी हो, तो भी उसके मन को यदि लगे कि 'अमुक वस्तु ठीक नहीं हुई तो तुरन्त मन पर उसका प्रभाव ग्रहण कर लेगी और रोष-रीस
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