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शकुन-स्वप्रवेत्ता, नैमित्तिक वगैरह आये - यों कहो कि कोई ऐसी कला, कोई ऐसा विज्ञान नहीं जिसके ज्ञाता उस सभा में न हों ।
अब राजा कहता है,'हे मंत्रियों! आज महारानी ने कमल की माला में लिपटे हुए चन्द्र को स्वप्न में देखा है। तो उसका फल क्या है ?'
तब स्वप्रशास्त्री कहते है - 'महापुरुष की जन्मदात्री स्वप्न में चन्द्र, सूर्य, वृषभ, सिंह हाथी वगैरह देखती है, अतः यह स्वप्न किसी महान् पुरुष के जन्म की पूर्व सूचना देता है।'
राजा ने कहा - 'यह तो आपने चन्द्र का फल बताया.पर साथ की कमल-माला का फल क्या ?'
उन्होंने कहा - 'यह भी सूचित करता है कि ऐसी एक पुत्री भी आपके होगी।' ___ सब सुन रहे हैं परन्तु मुख्यमंत्री के दिमाग में यह बात नहीं बैठती । अतः वह कहता है, 'महाराज ! पुत्री होने की सूचना तो तभी मानी जाती यदि चंद्र के साथ माला अलग से होती । परन्तु इस स्वप्न में तो कमल-माला चंद्र से लिपटी पड़ी है अतः यह सूचित होता है कि पुत्र के यह कोई पूर्व जन्म स्नेहवाली पत्नी होगी।'
दृष्टि की बारीकी और सावधानी यह है कि वस्तु या प्रसंग में से बराबर योग्य परिणाम निकाला जाय | राजा के मस्तिष्क में मंत्री की बात अँच जाती है । इसलिए मान लेता है कि, 'बराबर, इसी तरह की संभावना प्रतीत होती हैं।'
महान के आगमन पर क्या क्या होता है ? बस, सभा बरखास्त हुई । रानी गर्भ-वहन कर रही है और (१) उससे वह अधिक शोभित होने लगती है - गर्भ के प्रभाव से।
(२) उसमें दया, दान और दाक्षिण्य, विनय, विद्या और विज्ञान वगैरह की वृद्धि होने लगती है। (३) वह राजा की अधिक प्रिय बनती है | (४) परिवार को अधिक प्रसन्न करनेवाली होती है। (५) सौत-रानियों का उसके प्रति आदर बढ़ता है। (६) वह सगे सम्बन्धियों को अच्छा देनेवाली बनती है । (७) नगरनिवासियों को आनन्दरूप होती है | (८) साधु-पुरूषों का विनय करनेवाली, सज्जनों के अनुकूल बर्ताव करनेवाली और जीवों पर अनुकंपायुक्त बनती है ।
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