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________________ अलग भाव जगते हैं । इसका कारण ? दृष्टिबिन्दु में फर्क ! राजा की दृष्टि में ऐसे बालक से दूर रहने वाले पिता की मूर्खता चढ़ती है, जबकि रानी की नजरों में ऐसा बालक पानेवाली माता का अहोभाग्य आता है; तो तत्वदृष्टिवाले मंत्री भाग्य की विचित्रता ही देखते हैं। इससे सूचित होता है कि वस्तु में अनेक धर्म हैं और देखनेवाले के उस-उस वक्त के वैसेवैसे भाव के हिसाब से वे लक्ष्य में आयेंगे और वैसे विचार करायेंगे | यहाँ बालक के तीन धर्म का विचार हुआ,(१) कठिन हृदयी पिता का पुत्रत्व (२) भाग्यवती माता का पुत्रत्व (३) विधि के हाथों नचाया जाना ; जबकि राजा के दिल में क्रोध का भाव, रानी को आश्चर्य का भाव और मंत्रियों को वस्तु-विवेक का भाव, ऐसे तीन अलग-अलग भाव, वह-वह धर्म पकड़कर विचार-उच्चारण होता है। इससे सुचित होता है किदिल में जैसा-जैसा भाव पैदा करेंगे, उसके अनुसार सामने वाली वस्तु के धर्म पर लक्ष्य जाएगा और वैसा-वैसा विचार आएगा। उदाहरण के लिए :- किसी अमीर को देखा, (१) अब यदि आपके दिल में दया का भाव जागता होगा, तो उस व्यक्ति में रही हुई अपने पुण्य की सिर्फ चटनी करने की खासियत ही लक्ष्य में आएगी। (२) परन्तु आपके हृदय में यदि बहुत राग झलकता होगा, तो उस व्यक्ति की बोलबाल पर ही दृष्टि जाएगी फिर विचार भी ऐसे ही आयेंगे । अच्छे विचार का मूल :___ कहने का तात्पर्य यह है कि सामने चाहे कोई भी वस्तु क्यों न हो, चाहे कोई भी घटना घटे, यदि आप दिल में मैत्री, करुणा, वैराग, उपशम, उदासीनता आदि कोई भी अच्छा भाव रखेंगे, तो उस वस्तु या घटना पर भी वैसे ही विचार होंगे, उसकी खासियत पर ही दृष्टि जायेगी और अच्छी विचारधारा चलेगी। इसका मजा कुछ और ही है, यह मन को प्रफुल्लित रखता है, हृदय को स्वस्थ व स्वच्छ रखता है | सामनेवाली चीज़ विलक्षण या एकदम बेकार दिखने पर भी दिल में यदि मैत्री आदि भाव होगा, तो वह आपके दिल में शुभ विचार का प्रेरक बनता है | बालक क्यों रोया ? अस्तु । इस बालक की तरफ तीनों के भाव खींच गये, यह देखकर बालक को -३० - ३० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003227
Book TitleKuvalayamala Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvanbhanusuri
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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