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________________ रखता है।' अब सेठ का मन डोलने लगा | मन में होने लगा कि 'महाराज यह भी कहाँ गलत कह रहे हैं ? बात तो सच है कि यह देखने पर तो अर्थ और काम विडंबना भरे हैं। सब कुछ खाक हो जाने के बाद क्या काम आयेगा? फिर तो निराधार ही होना पड़ेगा न ? ठीक है । देखता हूँ, अब आगे क्या कहते हैं ?' रस लग गया बनिये को। __ अब महाराज अपना व्याख्यान आगे चला रहे हैं अन्त में सब कुछ खोने पर भी धर्मी को दुःख क्यों नहीं ? धर्म पुरूषार्थ वाले को तो अन्त समय में पैसे - परिवार - सुख सब जाता हुआ दिखता है, परन्तु इससे उसके दिल में कोई दःख नहीं होता । क्योंकि उसने तो धर्म की समझ से पहले से ही सब कुछ असमय ही नष्ट होने वाला है, बात समझ रखी है । फूल की माला शाम होने पर मुरझाने ही वाली है, यह बात सुबह से ही समजा रखी है, इसीलिये तो वह फूल की माला शाम को मुरझाई हुई देखकर दुःख कहाँ होता है ? इस प्रकार धर्म की समझ से अर्थ काम को असमय ही खोनेवाले समझ रखा है, तो फिर अन्त में उन्हें उड़ते हुए देखें, तो दुख कहाँ से होगा ? वहाँ तो उल्टा धर्म का महान आलंबन जीव को मस्त रखता है ! वह समझता है कि अर्थ-काम तो चाहने पर भी साथ में चलने वाले ही नहीं हैं, जब कि धर्म तो वास्तव में साथ चलने वाली चीज़ है ।। (२) धर्म उसे जड़ की ममता, दुर्ध्यान, असमाधि, हाय-हाय आदि खतरनाक हैं, परलोक को बिगाडनेवाले है; यह बात समझाता है । इसीलिये अन्त काल में विशेष रूप से इनसे दूर रहकर समता-समाधि शुभध्यान में वह लीन रहता है, इसीलिये उसे दुःख कैसा ? धर्मी को वर्तमान में दुःख क्यों नहीं ? (३) यदि अपने जीवनकाल के दौरान भी मनुष्य धर्म-पुरूषार्थ को प्रधानता देता हो, तो इस अर्थ-काम के रसिक जीव की तरह वह भला क्यों चिन्ता - संताप - ईर्ष्या - भय आदि से पीड़ित होगा ? अर्थ-काम को तो वह खतरनाक मानता है | इसीलिये उसके साधनों मे कुछ यहाँ का वहाँ होने पर उसे संताप नहीं होता। बहुत पैसेवाले या बहुत विषय सुख में पड़े हुए जीवों को देखकर तो उसे उन पर दया आती है कि 'अरे अरे ! इस बेचारे का बाद में क्या होगा? बिल्ली वाले - २० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003227
Book TitleKuvalayamala Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvanbhanusuri
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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