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अभिनय करते हुए कहा, 'ले रांड, जल मर, तुझसे अकेले हाथों नहीं जला जायेगा इसलिए ले मैं ही तुझे जला डालता हूँ जिससे मेरा रोज का क्लेश मिट जाय ।'
क्या वह औरत अपने सिर पर अंगारे डलवाने बैठी रहे? नहीं, जरा भी नहीं। वह तो तुरन्त उठ कर भागी | पुरूष भी क्रोध में बिफरने का अभिनय करता हुआ अंगारों भरे तवे के साथ उठ कर उसके पीछे पड़ा और कहने लगा, 'ठहर ठहर कुटिला ! जाती कहाँ है ? आज तो तुझे जलाही डालता हूँ | ताकि मुझे शांति हो जाय, हरामखोर !
बस, दूसरे दिन से झगड़ा बन्द ।
जगत के जीवों के ऐसे ही ढोंग चला करते हैं। समझ रखों, 'मैं खुदकुशी करूगा' ऐसा कहने वाले झूठे हैं । उसी तरह और कोई धमकी की बात बार बार करने वाले भी झूठे हैं। तो प्रेम के चोचले करने वाले भी झूठे हैं, और 'कोई कामकाज हो तो कहना - काम-काज हो तो कहना' बार बार इस तरह कहनेवाले भी ऐसे ही हैं।' जो यह बात समझते हैं वे ऐसे भ्रामक शब्दजाल में नहीं फँसते, नासमझ लोग फंस जाते है । आज ऐसी अनेक अविश्वसनीय स्त्रियों के पति प्रेम के वचनों में फँस कर दुःखी हुए हैं। __ वह पुरूष जब यह कह रहा है कि 'तू नहीं मिलेगी तो मैं आत्महत्या करूँगा' तब वह भोली महिला उसकी बातों में आ गयी घबरा गयी और उससे कहने लगी।
'नहीं, ऐसा न करना ! मैं तुझे मिलती हूँ | देख मेरा पति, यहीं कहीं नाटक देखता बैठा होगा इसलिए कोई चिंता नहीं है । मैं अपने घर जाकर बैठती हूँ, तू मेरे घर आना ।'
चंडसोम की विचारधारा :
विधि की विचित्रता देखो। चंडसोम अपने पर ले ले ऐसे शब्द ही उसे सुनने मिले । पीछे खडा वह सोचता है, 'अरे !' यह जरूर मेरी ही बात चल रही है । कह रहा है न कि तेरा पति चंड हो या सोम इसलिए यह मेरी पत्नी नंदिनी ही होनी चाहिए । यह भी कह रही है कि मेरा पति यहीं कहीं देखता हुआ बैठा होगा।' अतः इसे पता नहीं है कि मैं यहाँ पीछे ही खड़ा हूँ | मुझे न देखकर ही तो इसने यह मंत्रणा की । अब कहती है कि पति यहाँ है इसलिए चिंता नहीं। मैं घर जाती हूँ तू आना वहाँ ।' कैसी दुश्चरित्री है यह ? बस, निश्चय ही यह घर पहुँचेगी
और इसके पीछे यह आदमी भी वहाँ पहुँच कर इससे मिलेगा | अरे रे ! यह इतनी कुलटा है ?
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