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उवसमेण हणे कोहं माणं मद्दवया जिणे मायं चज्जवभावेण लोभं संतोसओ जिणे
- दशवैकालिक ८वा अध्ययन
क्षमा से क्रोध को मृदुता से मान को सरलता से माया को संतोष से लोभ को
- अचार्य शय्यंभवसूरिजी म. सा.
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