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क्रोध से दूर रहीं
क्रोध अग्नि है, यदि उसे छुओगे तो दुःख से अवश्य जलोगे । क्रोध से करोड़ों वर्षों का तप-संयम जल जाता है। क्रोध से मित्र भी शत्रु बन जाते हैं।
क्रोध से स्नेहीजन भी विरोधी बन जाते हैं। क्रोध से पाचन-शक्ति पर बुरा प्रभाव पड़ता है। क्रोध से चित्त चंचल और गरम रहता है। क्रोध से दिमाग की शक्ति क्षीण हो जाती है। यदि अच्छा स्वास्थ्य चाहते हो तो क्रोध न करो।
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अतः क्रोध रूपी शत्रु को जीतने के लिये क्षमा का शस्त्र धारण करो । कम खाना और गम खाना इस सूत्र के अनुसार चलोगे तो तुम जीवन में कभी ठोकर नहीं खाओगे |
क्रोध से लाभ कुछ नहीं होता, हानि ही हानि होती है। क्रोध से क्लेश, झगड़ा और वैर-विरोध बढ़ता है।
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क्रोधी मनुष्य किसी को प्रिय नहीं लगता। क्रोधी किसी बात का स्थिर और गंभीर विचार नहीं कर सकता।
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