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मोक्ष सार है..
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मोक्ष में केवल सुख ही सुख है। मोक्ष में कर्म की गुलामी नहीं है। मोक्ष में शरीर की पराधीनता नहीं है। मोक्ष में भूख, प्यास, रोग, पीड़ा नहीं है। मोक्ष में जन्म, बुढ़ापा, मृत्यु का दुःख नहीं है। मोक्ष में वापस लौटना नहीं होता । मोक्ष में अनन्त ज्ञान, अनन्त सुख होता है। मोक्ष में किसी प्रकार की इच्छा नहीं होती। मोक्ष सर्वथा सदा दोष रहित है।
मोक्ष में सदा पूर्ण आनन्द होता है।
शुद्ध चारित्र पालन से
अनन्त सुखमय मोक्ष मिलता है।
सिर्फ मनुष्यजीवन से ही मोक्ष मिलता है।
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|| मोक्खे सोक्खं अणाबाहं ।।
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