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संसार असार है.
दुःखों से भरा हुआ होने से संसार असार है। कर्म की पराधीनता होने से संसार असार है। शरीर की गुलामी होने से संसार असार है। सब सगे-सम्बंधी स्वार्थी होने से संसार असार है। जन्म, जरा, मरण रोगादि होने से संसार असार है। सच्चा सुखी नहीं होने से संसार असार है। सब चीजें अनित्य होने से संसार असार है। सच्चा कोई शरण न होने से संसार असार है। यह शरीर रोगों से एवं अपवित्र वस्तुओं से भरा हुआ है इसलिए संसार असार है। जीवन का निर्वाह करने में पाप करना पड़ता है इसलिए संसार असार है। सिर्फ पेट भरने में भी असंख्य जीवों का नाश करना पड़ता है इसलिये संसार असार हैं। माता मर के पत्नी होती है और पत्नी मर के माता होती है इसलिये संसार असार है। राग-द्वेष, असन्तोष, झगड़ा, क्लेश होने से संसार असार है।
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।। असारः खलु संसारः ।।
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