________________
Mohkarma
मोहनीय कर्म किमी को हमाता हैं तो किसी को कलाता हैं, कभी लडाता हैं तो कभी मिलाता हैं, कभी डराता हैं तो कभी भटकाता हैं, किमी को खुश करता हैं तो किसी को नाखुश करता हैं, यह कर्म से धर्म, गरु और भगवान के विषय में शंका होती हैं।
17 www.jainelibrary.org
Jain Education International
For Private & Personal Use Only