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जीव मैत्री मंदिर (दयालुओं का स्वर्ग)... पांच हजार से अधिक अबोल पशु निर्भयता से किल्लोल कर रहे हैं, उनकी नियत-नित्य चर्या देखकर लगता है कि, “यह प्राणी तो अपने से अधिक धार्मिक हैं!" उनकी मस्ती देखकर लगता है कि, "यह अपने से अधिक सुखी हैं ! घूमते-फिरते-खाते, मानव को दुर्लभ ऐसी VIP ट्रीटमेंट की मौज माननेवाले जानवरों को देखकर विचार आता है कि, पशु होकर भी कितने पुण्यशाली! कितने निश्चिंत ! कितने तन्दुरुस्त ! दया और करुणा का भाव प्रगट करनेवाला यह पशुदर्शन जीवनदर्शन की एक नई राह दिखाता है।
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आतिथ्य मंदिर (अतिथिओं का स्वर्ग) आधुनिक और अनुकूल अतिथिभवन, यात्रिक भवन, शांति विश्राम गृह, कनीमा विश्राम गृह, श्रीमती आशा रमेश गोयंका विशिष्ट अतिथि गृह, शुद्ध और संतुष्टिजनक भोजन, स्वच्छता से शोभायमान संकुल, भावोल्लास उछालता कर्णप्रिय भक्ति गीत गुंजन, बाल वाटिकाएँ, दर्शनीय प्रदर्शन वगैरे सर्जन, वर्षों से लाखों अतिथिओं का आकर्षण बिन्दु है।
शासन मंदिर (शासनप्रेमीयों का स्वर्ग)
जिनमंदिरों, जीर्णोद्धारों, पूजनीय गुरुभगवंतों की अनेक प्रकार की
वैयावच्च भक्ति-मूर्ति भंडार, चौदह स्वप्न भंडार, ज्ञान भंडार,
___ उपकरण भंडार इत्यादि इस तीर्थधाम की शासन-शोभा है।
मानव मंदिर (करुणाप्रेमीयों का स्वर्ग)
परिवार
साधना मंदिर (आत्मसाधकों का स्वर्ग) आत्मशुद्धि की अनुभूति करानेवाले अध्यात्मसंकुल, शांत-शुद्ध आलंबन से मन की स्थिरता का सर्जन कराते ध्यानसंकुल, चातुर्मास, उपधान, शिबिर, ओली, अट्ठम इत्यादि धर्मानुष्ठानों के द्वारा साधक की शुद्धि और पुण्य वृद्धि करते साधनासंकुल इस तीर्थभूमि की पावनता में प्राण डालते हैं।
देढ़ सो गाँवों में हर दिन कुत्तों को रोटी, कबूतरों को चना, गाय को चारा,
जैन बच्चों को मिड-डे मील,
मोबाईल मेडीकल सेन्टर, अनेक पांजरापोल में योगदान,
३६ कोम को उचित सहाय्य, सिरोही में हॉस्पिटल आदि अनेक कार्यों द्वारा पावापुरी ने भारतभर में "मानवता की महेक" फैलाई है।
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