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{{ विश्वास्यं रमणीयमेव जगतः {{ of
दिन के उजियाले में ऐसा कोई काम मत करना। कि रात के अँधियारे में नींद ही न आए ||
विश्वसनीय बनो...
इस संसार में किसी के विश्वास को तोड़ना बहुत बड़ा पाप है। आवश्यकता समाप्त हो जाने पर किसी से नाता तोड़ देना या मुँह मोड़ लेना घिनौनी वृत्ति है। जिंदगी में किसी की विश्वसनीयता को सहेजकर रखना... संभाल कर रखना भी बहुत बड़ी तपश्चर्या है और धरोहर भी। अपनी गलतियों को ढकने के लिए औरों की गलतियों को उद्घाटित करना दुर्जनता है । याद रहे... जब तक मनुष्य का पुण्योदय है, तो उसका कोई कुछ. बिगाड़ नहीं सकता और जब पापोदय हो तो
उसको कोई कुछ सुधार nal use नहीं सकता।
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