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जो वस्तुएं तुम्हारे पास है
उसका सदा सम्मान करो... किसी भी छोटी
वस्तु की उपेक्षा मत करो... एक बीज में वृक्ष समाया हुआ है... क्यों भूलें उस मिट्टी के दीपक को जो भगा सकता है अंधकार को... उस चिथड़े का भी निरादर मत करो क्योंकि उसने भी लज्जा निवारण में सहयोग दिया है। जो व्यक्ति भी सम्मान करो... किसी बच्चे या
छोटा समझना उनकी आत्मा का भी व्यक्ति हमें मिला है चाहे में मिला या नौकर के रूप में, मिला या शत्रु के रूप में, उनका चाहे वह क्रोधी हो या लालची, या नासमझ... परन्तु उनकी करके उनका सम्मान करें....
अच्छाईयाँ भी समझ में आने लगी।
तुम्हारे आस-पास है उसका व्यक्ति को तुच्छ और
अपमान है। जो
वह बेटे के रूप मित्र के रूप में
करें ।
सम्मान करो...
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सम्मान
• समझदार
हो
बुराईयों को गौण धीरे-धीरे उनकी
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