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झुकना ज़रूरी है...
एक घड़ा जब कुएं में उतरता है..... घड़े के चारो ओर पानी है पर जब तक घड़ा नहीं झुकेगा तब तक पानी प्रवेश नहीं करेगा.. कुछ पाने के लिए कुछ खोना है तो अहंकार को गलाना ही खो देना है।
झुकता वही है जिसमें जान है। अकड़ना तो खास मुर्दों की पहचान है ।
धर्म का मूल विनय है...... झुकने से पात्रता आती है...... झुकना एक ऐसा सुरक्षा कवच है जो कभी नहीं टूटता। जिसमें सद्गुण हो उसके सामने झुकना नम्रता है और स्वार्थ वश झुकना दीनता है तभी तो कहते हैं कि नमन - नमन में फेर होता है। नम्रता का पहला लक्षण है - किसी की कड़वी बात का मीठा उत्तर देना । दूसरा लक्षण है - दूसरों का सम्मान करना । तीसरा लक्षण है - क्रोध के क्षणों में मौन धारण करना ।