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मेरी आत्मा को निर्मल करने का यह उचित अवसर मुझे
मिला है।
जीवन में भूलें हो जाना
स्वाभाविक है परन्तु उन जिसने रखी झमा...
भूलों को बार-बार दोहराना
मेरी अज्ञानता है... ऐसी वह सबके दिल में जमा... अज्ञानता के कारण मैंने कई
लोगों के दिल को दुखाया और उनके शान्त जीवन को अशान्त कर दिया है पर...
१५ खाते सेविज्ज पौडए {{ मैं देखू अपने पाप को मुझे ऐसे नैन दो।। जमाने के सभी पुण्य ज़माने को मुबारक हो।
मेरी सदबुद्धि के दरवाजे जब से खुले हैं तब से मैं क्षमा प्रार्थी बनकर क्षमा का दान माँग रही हूँ... अपनी भूलों को कबूल करके उसका प्रायश्चित्त कर लेना चाहती हूँ। प्रायश्चित्त का भाव भीतर में हो और क्षमा की याचना बाहर में हो...
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