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संयमयोगैरात्मा निरन्तरं व्यावृतः कार्यः ।।
जो व्यस्त रहता है उसकी तबियत स्वस्थ रहती है... मन किसी एक शुभ केन्द्र पर 10 एकाग्र रहता है समय सार्थक बातों में बीतता है। आराम करने वाले कभी सृजनात्मक
नहीं बन सकते... इस जीवन रूपी लोहे को कर्तव्य का पारसमणि स्पर्श कर लें तो ज़िन्दगी की हर पर सुनहरी बन जाती है... यह जीवन प्रशस्त कार्यों से हरा-भरा रहें..... यह जीवन अपनी ही शुद्धि करने में लग सके... यूं तो यह जीवन बड़ा छोटा है और एक दिन तो मरना ही है परन्तु कुछ अच्छा करके जायेंगे तो जमाना भी गुण गाता रहेगा और आत्मसंतोष भी प्राप्त हो सकेगा। कहा भी है - रुको मत चलते रहो। बुझो मत जलते रहो।।
व्यस्त रहो
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