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ताश का यह खेल निराला
जीवन क्या है ? जीवन ताश के खेल की तरह है। पत्ते हमें बाँट दिए जाते हैं, चाहे वे अच्छे हो या बुरे। उस सीमा तक नियतिवाद का शासन हैं, परंतु खेल को बढ़िया या खराब खेलना हम पर निर्भर करता है। हो सकता हैं आपके पास बहुत अच्छे पत्ते आए हो फिर भी आप बाजी हार जाएं, खेल का नाश कर दें। यह भी हो सकता है कि आपके पास बहुत ही खराब पत्ते आए हों, लेकिन फिर भी आप खेल जीत जाएं। यही संभावना हमारे जीवन पर भी लागू होती है, जीवन को अच्छे या बुरे ढंग से जीना स्वयं पर निर्भर करता है। याद रखिए हमारा जीवन परवशता और स्वतंत्रता का, दैवयोग और चुनाव या चुनौती का मिश्रण है।
अप्पा कत्ता विकत्ता य ।
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