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DOUBT IS A SIGN OF WEAKNES वहम
मनोविज्ञान का एक नियम है - जैसी हम आशंका करते हैं। वैसा हो गुजरता है। आशंका मन की कमजोरी का परिणाम है जिससे वहम का जन्म होता है। कभी सोचा है कि वहम करने से मनुष्य जीवन की कितनी संपदा नष्ट कर देता है...... ? कहते हैं-शक- सुबहों के तहखाने में बड़ी सीलन होती है। जो इस तहखाने में रहता है उसके दिल का चिराग बुझ जाता है और दिमाग खोखला हो जाता है। संसार में प्रत्येक वस्तु का उपचार है जैसे अग्नि का उपचार जल है, धूप का छाता, हाथी का अंकुश और रोग का औषधि इसी प्रकार हर वस्तु का दुनिया में ईलाज किया जा सकता है किन्तु वहम ही एकमात्र वहम की दवा लुकमान हकीम के पास ऐसा मानसिक रोग है जिसका कोई ईलाज नहीं होता। इसलिए तो कहावत बनी है भी नहीं है। जैसे मणों दूध को एक खटाई की बूँद फाड़ डालती है, काँच को एक हल्की-सी धचक भी तोड़ डालती है वैसे ही वर्षों के पुराने प्रेम सम्बन्धों को वहम का एक झोंका तोड़ डालता है। अतः वहम करना नासमझी है। जिस मनुष्य के चित्त से विश्वास चला जाता है वह व्यक्ति वहमी बन जाता है और जिसने भी वहम किया उसने अपना जीवन बर्बाद किया। विश्वास करना एक गुण है तो वहम एक दुर्बलता का जनक है।
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|| न सुखं संशयात्मनः ।।
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