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अंतयात्रा
इन्सान ने दूर-दिगन्त तक हजारों यात्राएँ की, अनेक तीर्थयात्राएँ भी की किन्तु कभी अंतर्यात्रा करने का उसे ख्याल नहीं आया। बाहर की यात्रा करनी हो तो World Map मार्ग दर्शन देता है या जिसने पूरी दुनिया की यात्रा कर ली है वह व्यक्ति भी सहायक बन सकता है। परंतु अंतर्यात्रा के सारे रास्ते uncharted हैं इसलिए आदमी भीतर जितना भटकता है उतना बाहर नहीं भटकता। कोई ऐसा सोचे कि पहले सारी अंतर्यात्रा की जानकारी कर लेंगे और फिर यात्रा करेंगे वह अंतर्यात्रा नहीं कर सकता। वह तो ऐसा आदमी है जो यह कहे कि जब तक मैं तैरना न सीख लॅ तब तक पानी में नहीं उतरूँगा। जो इस तर्क बुद्धि से चलेगा वह पानी में बिना उतरे तैरना कैसे सीखेगा ? इस अज्ञात यात्रा में अंतस् की तीव्र रूचि ही मार्ग दर्शाएगी। भीतर चलना आसान नहीं है। वहाँ न रास्ते हैं न कोई पगडंडी सिर्फ अभीप्सा और प्यास के आधार पर ही चलना है। जहाँ प्यास है वहाँ रास्ते खुल जाते हैं।
जब कोई पहली दफा भीतर प्रवेश करता है तो उसे अंधकार ही मिलेगा। जब GE शांतिपूर्वक धीरे-धीरे उस अंधेरे को देखोगे तो अंधेरा कम होता चला जाएगा 5 और आत्मा का प्रकाश प्रकट होगा।
११ जेने पिपासा अमृत पान
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