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समझौता
परिवार के बुजुर्ग सदस्यों के साथ तालमेल बिठाकर जीना अनिवार्य है। उनके साथ सामंजस्य बिठाने के लिए एक बात को ख्याल में रखना जरूरी है कि जो बुजुर्ग होते हैं उनका अतीत लंबा होता है और भविष्य छोटा होता है अतः उन्हें स्वयं को बदलना बड़ा मुश्किल है। उनकी तुलना में जिनका अतीत छोटा है और भविष्य लंबा है उन्हें स्वयं को बदलना आसान है और बुजुर्गों के साथ समझौता करना भी आसान है। जिस प्रकार किसी यात्री को ट्रेन में छत्तीस घंटों का सफर करना हो वह अपने साथ में बैठे हुए चार घंटे की यात्रा करने वाले यात्री को अपनी ओर से सुविधा भी देता है तथा उसकी ओर से होने वाली असुविधा को निभा भी लेता है। सिर्फ यह सोचकर कि थोड़ी-सी देर की बात है। यह गणित समझ में आ जाए तो बुजुर्गों के साथ भी समझौता करना आसान और सहज हो जाएगा। यदि हमारे साथ चलने वालों की गति धीमी हो और हमारी गति तेज हो और हमारे साथ चलने वालों को हम साथ ही रखना चाहते हों तो हमें स्वयं के कदमों को धीमा करना होगा। इसी तरह परिवार के जिन बुजुर्ग सदस्यों के साथ आप रहना चाहते हैं तो स्वयं को उदार तथा धैर्यवान बनाना होगा ताकि समझौता किया जाए। An old man is twice a child.
- Shakespeare
जैसे सूर्य के उदय होने पर अंधकार नष्ट हो जाता है ऐसे ही सामंजस्य बिठाकर चलने से जीवन में सुख शांति बनी रहती है।
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