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ईमानदारी की सूखी रोटी बेईमानी से कमाई गई घी चुपड़ी रोटी से कहीं अधिक श्रेष्ठ है।
जूते
जैक गरीब चरवाहा था। वह रोज सुबह भेड़-बकरियों को चराने पहाड़ो की ढलान पर जाया करता था। सर्दी के दिन थे और उस बेचारे के पास पहनने के लिए जूते तक नहीं थे ।
एक दिन जब वह भेड़ों को चरा रहा था कि अचानक एक गाड़ी उसके करीब आकर ठहर गई। उसमें से एक चोर निकला, जो कई बार जेल की सजा काट चुका था। वह जैक से बोला, "तुम मेरे साथ काम करोगे ? यदि करो तो मैं तुम्हें बढ़िया जूते खरीद दूँ। तुम्हें अपने भोजन और कपड़ों की भी चिंता नहीं करनी पड़ेगी।"
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यह सुनकर उस छोटे से लड़के जैक ने तपाक से जवाब दिया, "मुझे नंगे पाँव रहना मंजूर है, पर धोखाधड़ी और चालाकी से कमाए पैसों का सुख मुझे नहीं चाहिए।
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