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________________ मृत्यु अनिवार्य है। गोमती का प्यारा इकलौता पुत्र मर गया। वह पगला सी गयी। पुत्र की लाश छाती से चिपका कर भागती हुई महात्मा बुद्ध के चरणों पर जा गिरी और रो-रो कर उनसे अपने बच्चे को जीवित करने की प्रार्थना करने लगी। भगवान् बुद्ध ने कहा, "बड़ा अच्छा किया जो तुम यहाँ चली आईं। बच्चे को मैं जीवित कर दूंगा। तुम बस इतना काम करो, गाँव में जाकर जिस घर में आज तक कोई मरा न हो उस घर से सरसों के कुछ दाने माँग लाओ।" गोमती लाश को छाती से चिपकाए दौड़ी और लोगों से सरसों माँगने लगी। जब किसी ने उसे सरसों के दाने देने चाहे तो उसने पूछा, "तुम्हारे घर में आज तक कोई मरा तो नहीं है न?" उसकी बात सुनकर घर वालों ने कहा, "भला ऐसा भी कोई घर होगा जिसमें ___कोई मरा न हो ! मनुष्य तो हर घर में मरते हैं।" गोमती घर-घर फिरी, पर सभी जगह उसे एक सा - जवाब मिला। अंततः उसकी समझ में बात आ गई कि मृत्यु अनिवार्य है। जीवन को सुधार लो, मृत्यु भी सुधर जायेगा और परलोक भी सुधर जायेगा। मृत्यु को मिटाना मुमकीन नहीं, किन्तु सुधारना मुमकीन है, %00.0000 70 International Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003221
Book TitleStory Story
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanbodhisuri
PublisherK P Sanghvi Group
Publication Year2011
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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