________________
अपने जानवरों को चराते हुए एक दिन
चरवाहे को एक मजाक सूझा। बेवजह वह चिल्लाने लगा, "बचाओ, बचाओ ! बाघ आया रे बाघ ! मेरी सारी भेड़-बकरियाँ खाए जा रहा है।'' चिल्लाहट सुनकर गाँव वाले कुल्हाड़ी, भाला लेकर उसकी मदद को दौड़े आए। तब चरवाहे ने हँसकर कहा, "जाओ-जाओ, यहाँ बाघ-शेर कुछ नहीं है। मैं तो झूठ-मूठ चिल्ला रहा था।" गाँव वाले झुंझलाकर वापस लौट गए। एक दिन हमेशा की तरह चरवाहा अपनी भेड़-बकरियाँ चरा रहा था कि तभी अचानक भेड़-बकरियों पर बाघ ने सचमुच हमला बोल दिया । भयभीत चरवाहे ने सहायता के लिए गाँव वालों को पुकारा, "बाघ आया रे, बाघ आया, अरे, बचाओ ! नहीं तो मेरी सारी भेड़-बकरियाँ मारकर खा जाएगा ।” गाँव वालों ने चरवाहे की चीख-पुकार सुनी, पर उसकी मदद को कोई नहीं आया। उन्होंने सोचा, पिछले दिन की तरह वह अब भी शायद उनसे ठिठोली कर रहा होगा ।
Education International
इस अमूल्य जीवन का अणमोल समय
मजाक के लिये नही है, परोपकार करने के लिये है।
बाघ आया रे बाघ !
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
51